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मेरी साड़ी
Sector 50 A-E

मेरी साड़ी

आज मेरी अलमारी में एक साड़ी मिली।
कुछ एक दो बार पहना था उसको,
एक बार तो मास्टर जी के पास ले गई,
“लहंगा बना दो, कह आई।
लेकिन पता नहीं क्या हो जाता था,
वो साड़ी कोई क्यों नहीं काटता था!

अभी कुछ रोज़ पहले किसी ने बताया,
बनारसी साड़ी का फैशन फिर लौट आया।
टिशू, चंदेरी, कतान, जंगला और कढ़ुआ,
इंटरनेट पर नाम बहुत सारे,
कैसे समझे कोई बगेर किसी के समझाए।

जाने कैसे पता चल गया।
यह तो बनारसी, टिशू, कढ़ुआ है।
इंटरनेट के जाल में ढूंढ रही थी,
पर ये तो अलमारी में ही रखी थी।

फूलो सी सजाई गयी,
बहुत ध्यान से बनाई गयी।
कई दिन, हफ़्ते लग गए होंगे,
सबसे उम्दा तार डाले गए होंगे।

क्यों ढूंढती अब इसकी जैसी कोई नई ?
कुछ और होंगी जरूर इसके जैसी,
पर बिल्कुल इसका फिर से मिलना मुश्किल है,
इसका फिर से मिलना नामुमकिन है।

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