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एक दुकान ऐसी भी
Sector 77 Noida

एक दुकान ऐसी भी

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बाल मेला 10.12.2022 दिन शनिवार। मेला तो हमसभी ने बहुत देखे होंगे। अलग अलग तीज त्यौहार पर विभिन्न नामों से मेले लगाये जाते हैं। जैसे दिपावली मेला, दशहरा मेला, क्रिसमस मेला, क्राफ्ट मेला आदि। उसी प्रकार छज्च्ब् बाल भवन, बाल मेला का आयोजन प्रत्येक वर्ष दिसंबर महीने में बाल मेला का आयोजन करती है। जिसमें प्रत्येक वर्ष किसी न किसी राज्य को चुना जाता है थीम के लिए। कभी राजस्थान कभी उड़ीसा कभी पंजाब। इसी क्रम में इस बार का थीम महाराष्ट्र रखा गया था। जहां मन मोहक फुलों कि झांकी बनाई जाती है। अनेकों तरह कि दुकाने लगाई जाती है। इस मेले कि खास बातें ये होती है कि इस मेले में खास तौर पर महिलाएं अपने अपने दुकान को थीम के अनुसार सुशजित करती हैं। जिसकी खुबसूरती देखते बनती है। इन्हीं में से एक दुकान थी महाराष्ट्रीयन थीम पर आधारित वडापाव, भेल पुरी, मोदक, पाव भाजी ए्वं भेल का। जिसे 7ग कि महिलाएं संचालित कर रही थीं। श्रीमती अर्चना प्रसाद, श्रीमती नीतु मिश्रा, श्रीमती सोमा पाल, श्रीमती मधुमिता, श्रीमती मोना मुखर्जी। जिन्होंने अपने दुकान को वेस्ट मेटेरिया से सुसज्जित किया था। और इन्होने एक थीम लिया। वो थीम था- मछुआरे के बेटी कि शादी। जिसमें एक गांव को दर्शाया गया था। जहां मछली, मछली के जाल, फुस के घर, मछुवारा-मछुवारन, दुल्हा-दुल्हन, सहेली, गांव के गेट, वहां के त्योहार गुरीपरवा, हर घर तिरंगा, वरली आर्ट, गुरिया के गहने, अष्टविनायक आदि चीजों को दर्शाया गया था। जिसे बनाने में जो समान उपयोग में लाया गया था। वो अपने ही घर के कबार से जुगाड़ अर्थात वेस्ट मेटेरियल से। जिसमें करवा चैथ का करवा, तीज का डाली, छठ पुजा का सुप, पुरानी गुड़िया, पुराने प्लाइवुड, लकड़ी, पिस्ता का छिलका, आइसक्रीम स्टिक, पेंट का डब्बा आदि समान का प्रयोग कर, एक सुंदर गांव का रूप दिया गया था। जो लोगों को बरबस आकर्षित कर रहा था। लोगों के लिए हमलोगों कि दुकान एक शेल्फी प्वाइंट था। और पेंट के डब्बे को स्कट पहना कर ऊपर कुशन बनाया गया था। जहां लोग आकर बैठते थे और मराठी व्यंजन का आनंद लेते थे। दुकान कि खुबसूरती देखते ही बनती थी। जिसका सुखद परिणाम भी मिला। हमारे दुकान को डेकोरेशन में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ।

by अर्चना प्रसाद (H-206)

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